नफरतों को जलाओ मोहोब्बत की रौशनी होगी,
वरना- इंसान जब भी जले हैं ख़ाक ही हुए है......!!!
ए खुदा रखना मेरे दुश्मनो को भी मेहफूज,
वरना मेरी तेरे पास आने की दुवा कौन करेगा......!!
ना जाने क्यु कोसते है लोग बदसुरती को,
बरबाद करने वाले तो हसीन चहेरे होते है........!!!
हाथ में खंजर ही नहीं आंखोमे पानी भी चाहिए,
ऐ खुदा मुझे दुश्मन भी खानदानी चाहिए........!!!
तुझे तो मोहब्बत भी तेरी औकात से ज्यादा की थी,
अब तो बात नफरत की है, सोच तेरा क्या होगा….....!!!
उन्हें नफरत हुयी सारे जहाँ से,
अब नयी दुनिया लाये कहाँ से…....!!!
लेकर के मेरा नाम मुझे कोसता तो है,
नफरत ही सही, पर वह मुझे सोचता तो है…...!!!
इसी लिए तो बच्चों पे नूर सा बरसता है,
शरारतें करते हैं, साजिशें तो नहीं करते…....!!!
दिखावे की मुहब्बत से बेहतर है नफरत ही करो हमसे,
हम सच्चे जज्बातो की बड़ी कदर किया करते हैं……!!!
एक नफरत ही हैं जिसे दुनिया चंद लम्हों में जान लेती हैं,
वरना चाहत का यकीन दिलाने में तो जिन्दगी बीत जाती हैं.....!!!
हमें भुलाकर सोना तो तेरी आदत ही बन गई है... ऐ सनम,
किसी दिन हम सो गए तो तुझे नींद से नफ़रत हो जायेगी......!!!
जब से पता चला है, की मरने का नाम है "जींदगी",
तब से, कफ़न बांधे कातील को ढूढ़ते हैं.........!!!
वो जो हमसे नफरत करते हैं,
हम तो आज भी सिर्फ उन पर मरते हैं,
नफरत है तो क्या हुआ यारो,
कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं...........!!!
ये मोहब्बत है या नफरत कोई इतना तो समझाए,
कभी मैं दिल से लड़ता हूँ कभी दिल मुझ से लड़ता है…...!!!
देख के हमको वो सर झुकाते हैं,
बुला कर महफ़िल में नजरें चुराते हैं,
नफरत हैं तो कह देते हमसे,
गैरों से मिलकर क्यों दिल जलाते हैं.......!!!
हंसने के बाद क्यों रुलाती है दुनियां,
जाने के बाद क्यों भुला देती है ये दुनियां,
जिंदगी में क्या कोई कसर बाकी थी,
जो मरने के बाद भी जला देती है ये दुनियां.......!!!
होते हैं शायद नफरत में ही पाकींजा रिश्तें,
वरना अब तो तन से लिबास उतारने को लोग मोहब्बत कहते हैं….!!!
कदर करनी है, तो जीतेजी करो,
अरथी उठाते वक़्त तो नफरत
करने वाले भी रो पड़ते है………..!!!
तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने,
सोचो अगर तुम मुहब्बत करते तो हम क्या करते…..!!!
अच्छे होते हैं बुरे लोग,
कम से कम अच्छे होने का,
वे दिखावा तो नहीं करते.........!!!
ना शाख़ों ने जगह दी ना हवाओ ने बक़शा,
वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता…..!!!
ग़ज़ब की एकता देखी लोगों की ज़माने में,
ज़िन्दों को गिराने, मुर्दों को उठाने में.......!!!
न मेरा एक होगा, न तेरा लाख होगा,
तारिफ तेरी, न मेरा मजाक होगा,
गुरुर न कर शाह-ए-शरीर का,
मेरा भी खाक होगा, तेरा भी खाक होगा.......!!!